नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनका बचपन से ही राष्ट्रभक्ति और शौर्य से भरा हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई को छोड़कर देश सेवा में जुट जाने का निर्णय किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमूर्त सेनानी थे, जिन्होंने अपने आदर्शों और संकल्प के साथ भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अद्भुत प्रयास किए।
आजादी में योगदान :
नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनका बचपन से ही राष्ट्रभक्ति और शौर्य से भरा हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई को छोड़कर देश सेवा में जुट जाने का निर्णय किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमूर्त सेनानी थे, जिन्होंने अपने आदर्शों और संकल्प के साथ भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अद्भुत प्रयास किए।
'जय हिन्द' का नारा:
नेताजी ने अपनी बहादुरी और उत्कृष्ट भाषणों के लिए प्रसिद्ध थे, जिनमें उन्होंने अपनी सेना को ‘जय हिन्द’ के नारे के साथ प्रेरित किया। उनका आत्मबल और समर्पण आज भी हमें प्रेरित करता है।
पराक्रम दिवस के पीछे छुपी कहानी को जानें:
2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विशेष दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का एलान किया था।इस दिन का महत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम को समर्थन और सम्मान में है।
इसके बाद से, प्रति वर्ष इसे पराक्रम दिवस के रूप में आयोजित किया जा रहा है। लेकिन 2021 में, सरकार ने घोषणा की है कि यह दिन हर साल ‘पराक्रम दिवस’ या ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
इस दिन, भारत सरकार नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। 2021 में, नेताजी जयंती को उनकी 124वीं जयंती के मौके पर पहली बार पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया।
शहीदी और अंतिम दिन:
1945 में, नेताजी की मुक्ति की कड़ी से जुड़ी रहस्यमयी घटना ने उनके उद्दीपक को मिटा दिया। उनकी शहीदी ने उन्हें अमर बना दिया, लेकिन उनका योगदान और संघर्ष हमें याद रहता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संघर्ष और समर्पण हमें आजादी की महक महसूस कराता है। उनकी शौर्य गाथा न ही केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में
नेता जी की मौत आज भी एक रहस्य माना जाता है. उनकी मौत 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में हो गई थी. लेकिन उनकी डेड बॉडी नहीं मिली थी. इसलिए आज भी उनकी मौत का रहस्य नहीं सुलझ पाया है.
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